गर अल्फ़ाज़ ही एहसास की ज़रूरत हैं
फिर दिल से निकले जज़्बातों का क्या मतलब
तू तो दोस्त हमेशा से दिल से है मेरा
जज़्बातों का एहसास गर हो तुझको तो फिर अल्फ़ाज़ों से इज़हार क्यों करना
हर दिन है दोस्ती का, कोई एक दिन ही क्यों तुझको में दोस्ती की मुबारकबाद दूँ
रिश्ता है दिल का, ऐ दोस्त, हर दिन ये दोस्ती मुबारक रहे
और हाँ
गर कल हो नहीं या कल मैं ना रहूँ
याद फिर भी मुझको रखना तू
दोस्ती उस वक्त तक ज़िंदा रहेगी
दोस्त जब तक है जान किसी एक में भी

